सज गे तोर दरबार दाई,
जल गे जोत हजार ।
चैत नवत्रत आगे दाई,
मनावन जवरा तिहार।
जय होवय डोंगड़गढ़हीन,
कइथे तोला सब बमलाई।
रतनपुर म बइठे हावय,
दुःख हरइया महमाई।
नव दीन के नवरात हे,
जोत जवारा बोवाथे वो।
सेउक तोर सेवा करत हे,
मनवांछित फल पाथे वो।
नव दीन ले तै रईथस माई,
नव ठन हे अउ रूप।
जय होवय तोर नव रूप मई,
जलावव आगरबत्ती अउ धुप।
मोर शीतला महमाया बरगड़ा के,
तोर अंगना म जलत हे जोत।
गांव म लगे मोर मैया के दरबार,
बुढ़वा लइका पांव पखारत हे तोर।
युवराज वर्मा
ग्राम – बरगड़ा(साजा)
जिला -बेमेतरा(छःग)
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